Hi Friends,

Even as I launch this today ( my 80th Birthday ), I realize that there is yet so much to say and do. There is just no time to look back, no time to wonder,"Will anyone read these pages?"

With regards,
Hemen Parekh
27 June 2013

Now as I approach my 90th birthday ( 27 June 2023 ) , I invite you to visit my Digital Avatar ( www.hemenparekh.ai ) – and continue chatting with me , even when I am no more here physically

Friday, 13 May 2016

Diving into the Past


Dear Friends,
I wrote the following poem during my visit to L&T cement plant in 1986
That was when CSR was a " matter of heart " and before Govt reduced it to a " matter of law "
I hope you enjoy it
with regards,
hcp
(M) 0 - 98,67,55,08,08

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आओ , पकडलो हाथ

आवारपुर  उठो  ,

अभी तो बहुत लम्बी सफर बाकी हैं
क्यूंकि
अभी भी तुम्हारी छावं में
बैलो की जगह  खेत में ,
 
बच्चे जूते जाते हैं  !

तुम महान हो ,
तुम्हारे कंधो पर
देश की जिम्मेवारी हैं  !

तुम्हे देखना है की
तुम्हारे पुर्जे कभी बंध हो पावे  ,
तुम्हारी मशीने
कभी सो जावे   !

मगर इन ऊंचाईओ से
जिसके कंधे पर तुम खड़े हो ,
उनकी आवाज़ भी तो सुननी है  !

तुम्हारी छाव में अभी भी ,
कई  माँ
बच्चे को रोटी के बदले
कहानी सूना के सूला देती है  !

तुम्हे अभी
लम्बी सफर तय करनी है  !

आओ , पकडलो हाथ
बिना जिनके साथ ,
तुम अकेले चल नहीं पाओंगे  ;

तुम्हारे जो हमसफ़र है
उन्हें छोड़के
क्या आगे बढ़ पाओंगे  ?

सुनहरी कल के सपने
देखने वालो , हम सब है  ;

रात भर सोनेवाले भी
हम सब है  ;

उठो , भयी भोर
और चल दो
इक नयी क्षितिज की और  !

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05  March  1986  /  #

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